मुख्य उद्देश्य
क्षेत्रीय भाषा केंद्र योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के सभी राज्यों को त्रिभाषा सूत्र के कार्यान्वयन के लिए समान रूप से प्रोत्साहित करना और
हिंदी भाषी राज्यों को अपने शिक्षकों को किसी हिंदीतर भाषा में प्रशिक्षित करने हेतु सहायता प्रदान करना तथा,
अहिंदी भाषी राज्यों को अपने कुछ शिक्षकों को हिंदी एवं उनके राज्य की भाषा के अतिरिक्त किसी भारतीय भाषा में प्रशिक्षित करने में मदद देना है।
प्रमुख कार्य
क्षेत्रीय भाषा कार्यालयों के प्रमुख कार्यों में निम्न बिंदु सम्मिलित हैं:
आधुनिक पद्धतियों के माध्यम से सेवारत माध्यमिक शिक्षकों (विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा प्रतुनियुक्त) हेतु भारतीय भाषाओं में (उनकी मातृभाषाओं के अतिरिक्त) गहन पाठ्यक्रम, जिसमें भाषा प्रयोगशाला के उपयोग से त्रिस्तरीय अर्थात प्रारंभिक, इंटरमीडिएट और एडवांस्ड पाठ्यक्रम (पहले चरण में बोलने और समझने, बाद के चरणों में पढ़ने, लिखनें और बोलने पर विशेष ध्यान देना) प्रदान करना।
इन शिक्षकों को भाषाई अभिविन्यास प्रक्रिया द्वारा द्वितीय भाषा शिक्षण में प्रशिक्षित करना; शिक्षण सामग्री तैयार करने और पाठ्यक्रम पूर्ण होने के उपरांत उन्हें अपने संस्थान में इसके उपयोग में सक्षम बनाना।
समाज के विभिन्न वर्गों हेतु विभिन्न स्तरों पर द्वितीय भाषा के रूप में भारतीय भाषाओं के शिक्षण एवं अधिगम के लिए अनुदेशात्मक शिक्षण सामग्री तैयार करना।
शिक्षण में पूर्व-शिक्षक प्रशिक्षुओं के प्रदर्शन का मूल्यांकन और पुनश्चर्या पाठ्यक्रम संचालित करना।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को द्वितीय भाषा पाठ्यचर्या, पाठ्यपुस्तकें तैयार करने और सामग्री निर्माण और शिक्षक प्रशिक्षण में मदद करना।
भाषा शिक्षण संबंधी सिद्धांतों और पद्धतियों के साथ-साथ अध्येताओं के प्रदर्शन से संबंधित अनुसंधान करना।
भारतीय अध्ययन कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीयों और विदेशी नागरिकों हेतु अल्पकालिक आवश्यकता आधारित पाठ्यक्रम का आयोजन करना।
भाषायी शिक्षा से संबंधित विषयों पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार एवं सम्मेलन आयोजित करना।
भविष्य की योजना
विभिन्न विभागों, शैक्षणिक निकायों, संस्थानों ने अपने भाषा कार्यक्रमों में द्वितीय भाषा के साथ-साथ मातृभाषा शिक्षण में भारतीय भाषा संस्थान और क्षेत्रीय भाषा केंद्रों के विस्तार और परामर्श कार्य में अधिक निवेश का अनुरोध किया है। संस्थान के सभी क्षेत्रीय भाषा केंद्रों में पूर्ण विकसित परामर्श अनुभाग स्थापित करने की योजना है;
शिक्षक प्रशिक्षुओं के विद्यालय लौटने के उपरांत उनके द्वारा किए गए शिक्षण कार्यों का पर्यवेक्षण और मूल्यांकन।
इन विद्यालयों का दौरा करें और वहीं पर शिक्षकों को शैक्षणिक सुझाव दें।
विद्यालयी पाठ्यचर्या के अनुरूप कक्षा शिक्षण और सामग्री निर्माण में आने वाली समस्याओं का समाधान करें।
राज्यों द्वारा अनुरोध किए जाने पर भाषा मूल्यांकन, परीक्षण, पाठ्यचर्या निर्माण, पाठ्यपुस्तक लेखन और चयन पर राज्यों को सलाह देना।
पूर्व-शिक्षक प्रशिक्षुओं हेतु पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों का आयोजन और संचालन करना और आवश्यकतानुरूप सामग्री निर्माण के मूल्यांकन हेतु कार्यशालाओं का आयोजन और संचालन करना।
पूर्व-शिक्षक प्रशिक्षुओं द्वारा द्वितीय/तृतीय भाषा के रूप में पढ़ रहे स्कूली बच्चों के लिए भाषा शिविर आयोजित करना।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भाषा संबंधी मुद्दों पर जानकारी एकत्र करना, शिक्षा और जनजातीय विभागों के संपर्क में रहकर आवश्यकतानुसार अन्य कार्रवाई करना।
केंद्रों पर क्षेत्रीय भाषाओं में ऑनलाइन भाषा शिक्षण के लिए एम.ओ.ओ.सी.एस. पाठ्यक्रम विकसित करने की योजना है।
इस कार्यक्रम को अन्य भारतीय भाषाओं तक भी विस्तारित करना है।